Oct 16, 2009

किस्मत जो बदल न पायेंगे...!





तुम हकीकत हो या ख्वाब, .. पर तुम्हे सच मान के जिंदगी जीता हूँ मैं ... की मेरे अरमानों मैं तुम्हारा अक्स है कहीं न कहीं ... जिसे मे देख सकता हूँ... छु सकता हूँ... पर पल भर मे सिमट जाता है वो कहीं... दिल रोज़ जी उठ-ता है और रोज़.........!

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बहक ना जाना की हम संभल ना पाएंगे..
तेरे आगोश मे आ के फिर निकल ना पाएंगे...

इस रात मे कर लेना दिल की हसरतें पूरी ...
गुज़र गया ये पल, फिर पिघल ना पायेंगे..

मेरी आँखों मे बह रहे मेरे जज़्बात-ए-दिल..
पढ़ लो इन्हें ज़रा ये फिर मचल ना पाएंगे ...

तेरे इंतज़ार मे तन्हाई को महफिल बताते कबसे...
रंगीनियों से अरमान अब बेहल ना पायेंगे...

अपने हश्र की फिक्र क्या करूँ मेरे खुदा...
उस कातिल को दे दी किस्मत जो बदल न पायेंगे...

जानता हूँ यही है मंजिल तेरी सच्चा_प्यार...
पर तेरी जुदाई का ज़हर हम निगल ना पायेंगे

हाँ हम संभल न पाएंगे तेरे पहलु से निकल ना पायेंगे...

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कुनाल (सिफर) ११ सितम्बर २००५...



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