Nov 2, 2009

बस गया वो आखिरी सदमा नज़र मे...!

आदाब अर्ज़ है...

एक ताज़ा ग़ज़ल को रमाल बहर मे अपनी जानिब से अदा कर रहा हूँ,.. . शुरुवात अपनी इल्लत से मजबूर ख्याल से ही करूँगा...

Behar:- Ramaal (2122 2122 2122)(GalGaGa GalGaGa GalGaGa)
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ख्याल :-
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यादों ने फिर आज मुझे घेरा है ... उस कोने मे मेरा बसेरा है... जहाँ तू आया नहीं कभी .. वहां हर ख्याल तेरा है... ए तन्हाई न आहों को मेरी इतनी जगह दो.. ये बस जाए यही इतनी पनाह दो.. थोडी देर और पास मेरे बैठो ... की दूर अभी सवेरा है.. हाँ उस कमरे के कोने पे मेरा बसेरा है .. यादों ने फिर आज मुझको घेरा है ...

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ग़ज़ल :-
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चल रहा है यादों का मजमा नज़र मे..
आंसुओं का हौले से थमना नज़र मे ..

आखिर-ए-शब् हो, ये अनवार-ए-इलाही..
आफताब-ए-ग़म फ़क़त, खिलना नज़र मे...

इन खतों से है गिरे, अरमां मेरे ही...
बेरहम इनका यूँ फिर जलना नज़र मे ..

वो खुदा भी है खफा मुझसे सितमगर ..
बेवफा का पढ़ लिया कलमा नज़र मे..

पी रहा हूँ यार, जाम-ए-ग़म मे कब से...
लाज़मी है कुछ नशा मिलना नज़र मे ..

गर ख़ुशी मेरी, सुकून देती 'सिफर'*बस..
देख पल पल, ये मेरा मरना नज़र मे ..

अलविदा कहना तेरा बोसा* मुझे कर...
बस गया वो आखिरी सदमा नज़र मे..

ढल गया है यादों का मजमा नज़र मे..
आंसुओं का धीरे से मरना नज़र मे .

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कुनाल (सिफर) :- ०३-११-२००९
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* आखिर-ए-शब् ============== रात का अंत
* अनवार-ए-इलाही ============ इस्वरीय रौशनी,
* आफताब-ए-ग़म ============= ग़म का सूरज
* फ़क़त ==================== सिर्फ
* जाम-ए-ग़म ================ ग़म का प्याला
* सिफर ==================== शुन्य
* बोसा ===================== चूमना

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