May 31, 2010

चला हूँ मैं, चले हो तुम धीरे धीरे ....!

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बहर: हजाज़ सालिम ( १२२२ १२२२ १२२२)
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चला हूँ मैं, चले हो तुम धीरे धीरे ..
नज़र भी होगी, यूँ ही नम धीरे धीरे...

दीवाने गर है तन्हाई के दोनों हम,
होगा महसूस दर्द-ओ-ग़म धीरे धीरे...

ठहर के जाम होंटों से लगाना तुम ...
चडेगा सर नशा, जानम धीरे धीरे ...

अधुरा इश्क तेरा तोहफा मुझको...
ख़ुशी से जा मिला मातम धीरे धीरे...

कहानी फिर कोई ले मोड़ मुश्किल सा ...
'सिफ़र' ये निकले मेरा दम धीरे धीरे ...

और ...

नहीं ग़मगीन, गर है जिंदगी ताविल...
ग़म-ए-फुरक़त भी होगा कम धीरे धीरे...

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कुनाल (सिफ़र) :- ३१-०५-२०१०

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